अरपा पैरी के धार – छत्तीसगढ़ का गर्व
अर्पा पैरी के धार छत्तीसगढ़ का सबसे लोकप्रिय लोकगीत है, जिसे आज राज्यगीत के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। यह गीत छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपरा, प्राकृतिक सुंदरता और जीवनशैली का प्रतीक है।
गीत का महत्व
यह गीत न केवल एक संगीत रचना है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की आत्मा को दर्शाता है। इसमें राज्य की नदियों, खेतों, जंगलों और लोक जीवन का सुंदर चित्रण किया गया है। “अर्पा” और “पैरी” नदियाँ छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा मानी जाती हैं, और यही इस गीत के केंद्र में हैं।
गीत के रचयिता
इस अमर गीत के रचयिता पंडित नरेंद्र देव वर्मा हैं। उन्होंने इस गीत के माध्यम से छत्तीसगढ़ की संस्कृति और समृद्धि को शब्दों में पिरोया।
गीत का संदेश
गीत में लिखा है कि छत्तीसगढ़ की धरती कितनी उपजाऊ है, यहां की नदियाँ किस प्रकार जीवनदायिनी हैं और यह भूमि कितनी सुंदर है। यह गीत हमें अपनी जड़ों और संस्कृति से जोड़ता है।
क्यों खास है यह गीत?
✔ छत्तीसगढ़ के हर बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम में गाया जाता है।
✔ राज्य की पहचान के रूप में जाना जाता है।
✔ कई मशहूर गायकों ने इस गीत को अपनी आवाज़ दी है।
आज का समय और अरपा पैरी के धार
आज भी यह गीत हर छत्तीसगढ़वासी के दिल में बसता है। यह गीत हमें याद दिलाता है कि हमारी संस्कृति कितनी समृद्ध है और हमें इसे संजोकर रखना चाहिए।
0 टिप्पणियाँ